bhoot ki kahani Can Be Fun For Anyone
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Bhoot ki kahani
बहुत पुरानी बात है तब पानी के ज्यादा शाधन नहीं हुआ करते लोग कुए बाबड़ी तालाब आदि से पानी पिया करते थे! तो यह कहानी […]
यह एक आंखों देखी घटना है। एक बार गर्मी के छुट्टियों में मैं और मेरी बहन मामा के घर घूमने गए थे। मामा के घर में नानी मुझे बहुत प्यार करती थी । और मेरी बहनों को यह पसंद नहीं आता था । क्योंकि वे थोड़ी शरारत वाली और थोड़ी मस्ती भी करती थी।
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रात के दो बज रहे थे। रमेश ने देखा कि एक आदमी बेंच पर बैठा हुआ था। ठंड का मौसम था और वह आदमी ठंड से कांप रहा था। रमेश उसके सामने जाकर खड़ा हो गया और उससे पूछताछ करने लगा। कौन है भाई?
औरत ने पूछा क्या लाऊं फिर अघोरी ने बोला जैसे नींबू ,सवा किलो मिठाई, सवा मीटर लाल कपड़ा और एक फूलों का हार लेकर आओ .
रमेश अपना बैलेंस नहीं बना पाया और पृथ्वी पर गिर गया। उसने ट्रेन की आवाज सुनी और घबरा गया। उसे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। वह डर से चिल्लाने लगा। तभी रेलवे स्टेशन मास्टर प्रसाद भागा हुआ आया और उसने रमेश को पटरी से बाहर निकाला। रमेश कुछ देर तक बेहोश रहा। रेलवे मास्टर प्रसाद ने रमेश के ऊपर पानी छिड़का तो वह उठकर चिल्लाने लगा। प्रसाद ने उसे शांत किया और उसे दिलासा दिया कि वह ठीक है। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह कैसे हादसे हो रहे हैं।
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तभी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया । लेकिन टॉर्च के सामने हम लोगों ने उसका थोड़ा बहुत चेहरा देख लिया था। वह काला काला आदमी मटमैली सफेद रंग की धोती और मुंह पर बहुत सारे चेचक के निशान थे । सब लोग बहुत डर गए।
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उसने वह शॉल उठाया और सुबह घर लौट गया। वह इस हादसे को एक बुरे सपने की तरह भूल गया था। इतनी सुनसान जगह और इतनी गहरी रात। बुरा सपना ही होगा। रमेश तो इस वीराने में अपना मानसिक संतुलन खो दे। उसने सोचा कि उसे नींद आ रही थी और उसने नींद में सपना देखा। अगली रात वह फिर से ड्यूटी दे रहा था।
और उनको कुछ याद भी नहीं आया. और वह एकदम स्वस्थ हो गए, और अपने बैंक में काम फिर से चालू कर दिया।
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तब तक प्रसाद उसके पास आकर उससे बात करने लगा।
उस चिट्ठी में लिखा हुआ था.कि कल जब फैक्ट्री से निकलो तो जहां पर मैं खड़ी रहती हूं वहां पर मेरा इंतजार करना उस के दूसरे दिन मैं वहां पर पहुंच गया। तो वह लड़की वहां पर नहीं खड़ी थी। मैंने काफी इंतजार किया फिर मैं अपने घर की तरफ चल दिया.